वो परछाई
कहीं से एक मौसम आया,
ले प्यार की अंगराई रे ।
कहीं से फिर धुप जो निखरा,
मस्त धरा पे छितराई रे ।
कहीं से पवन झकोरे लेता,
भौंरा दिशा फिर भरमाई रे ।
कहीं से एक कूक सी आई,
गुँजित दिशा चहक जाई रे ।
कहीं से एक संदेशा आया,
अभिलाषा जीवन की ले आई रे ।
कहीं से वह साथ चला फिर,
कैसी वह मेरी परछाई रे ।
छवि साभार : http://www.amandawoodward.com
बढ़िया. बधाई.
बहुत खूब! अच्छा प्यार मौसम तुमको लपेट में लिये रहे।
बहुत बढिया!