प्रिया का जन्मदिन
आज रात –
मैंने पूछा – क्या दूँ मैं ?
भेंट कल तुम्हें –
तुमहारे जन्मदिन पर
सुनकर भी अनसुनी कर दी
कहकर की –
मुझे सोने दो – नींद आ रही है
वोह आँखें बंद कर सोई रही
नन्ही गुड़िया की तरह .
मैं देखता रहा –
उसकी बंद आँखों को
महसूस करता
मेरी खुली बाँहों में
उसकी स्निग्ध सांसें
और –
देखते ही देखते
घड़ी में बारह बज गए
वोह कुछ मांगी क्यों नहीं ?
या बस माँगा –
बस एक नींद –
हरेक साल –
मेरी बाँहों में
बस इसी तरह.
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